यूँ सुध लीजो नवल किशोरी।वृन्दावन की ललित लतन मेंगिनती कीजो

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यूँ सुध लीजो नवल किशोरी।
वृन्दावन की ललित लतन में
गिनती कीजो मोरी ,नवल किशोरी
यूँ सुध लीजो नवल किशोरी।




कबहुँ झूरा डार झूलियो
रसिक रँगीली जोरी ,
नवल किशोरी।।1।।




कबहुँ कबहुँ बलि सींचत रहियो

लाड़ भरी दृग कोरी,
नवल किशोरी ।।2।।




निशी बासर दें खत न अघाउँ

इतनो जाचत भोरी ,
नवल किशोरी।।3।।

जै श्री राधे कृष्ण
🌺



श्री कृष्णायसमर्पणं

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