हरी नाम सुमिर सुखधाम, जगत में जीवन दो दिन कापाप कपट

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हरी नाम सुमिर सुखधाम, 
जगत में जीवन दो दिन का


पाप कपट कर माया जोड़ी
गर्व करे धन का
हरी नाम सुमिर सुखधाम॥




सभी छोड़ कर चला मुसाफिर
वास हुआ वन का
सुन्दर काया देख लुभाया
लाड कर तन का …2


छूटा स्वास बिखर गयी देहि
जो माया मन का
॥ हरी नाम सुमिर सुखधाम...॥




जो बनवारी लगे प्यारी प्यारी
मौज करे मन का …2
काल बलि का लगे तमाचा
भूल जाये धन का
॥ हरी नाम सुमिर सुखधाम...॥




यह संसार स्वप्न की माया
मेला पल छीन का
ब्रह्मा नन्द भजन कर बन्दे
मात निरंजन का
॥ हरी नाम सुमिर सुखधाम...॥


जै श्री राधे कृष्ण
🌺





श्री कृष्णायसमर्पणं



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