
राम नाम-रस पीजै मनुआं, राम-नाम-रस पीजै।तज कुसंग सत्संग बैठ नित, हरि-चर्चा सुनि
राम नाम-रस पीजै मनुआं,
राम-नाम-रस पीजै।
तज कुसंग सत्संग बैठ नित,
हरि-चर्चा सुनि लीजै।।1||
काम क्रोध मद लोभ मोहकूं ,
बहा चित्तसें दीजै||2||
मीरा के प्रभु गिरधर नागर ,
ताहिके रंग में भीजे।।3।।
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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ओ भगवान को भजने वाले धर ले मन में ध्यानभाव
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