देने से पहले क्या कभी, सोचा है साँवरे,कर्जा भी क्या
देने से पहले क्या कभी, सोचा है साँवरे,
कर्जा भी क्या गरीब का, चुकता है साँवरे ।।
खुशियाँ जो मेरे पास हैं, कर्जा है आपका,
रहमो-करम है आपका, एहसान आपका,
कदमों में सर हमारा, झुकता है साँवरे ।।
नजरें हमारी शर्म से, उठती कभी नहीं,
जो भी लिया आपसे, वापस किया नहीं,
फिर भी ना जानें क्यों हमें, देता है साँवरे ।।
किरपा हुई है आपकी, करते हैं शुक्रिया,
'बनवारी' इस गरीब को, क्या-क्या नहीं दिया,
इतना भी क्या कभी कोई, देता है साँवरे ।।
'मिलती है जिन्दगी में, मुहब्बत कभी-कभी' गीत की तर्ज़
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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