
साँवरिया--,मीठी मीठी वाजे,
मधुर तेरी बांसुरीया।
प्यारो लागे, रे वृन्दावन धाम,
यहाँ है मेरे बाँके बिहारी।।
तेरी मुरलिया मीठा मीठा बोले,
भेद जीवन के सारे ही खोले,
इसमे छुपा है गीता का ग्यान,
इसमे छुपा है सृष्टि का भान
राधा के संग रास रचाऐ,
जमना तट पे गौऐ चराऐ,
कर मे मुरली काँवर-कारी ,
झाकी झरोखे मे बाँके बिहारी।
नख ऊपर गोवर्धन धारो,
इन्द्र को मान भंग कर ड़ारो,
ब्रज बासन को कष्ट निवारो,
ओ--लीला धारी है मुरली बारो।
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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