दुनियाँ में मेरा साथी तूँ है ,

दुनियाँ में मेरा साथी तूँ है ,






 धुन- दिल लूटने वाले जादूगर 


दुनियाँ में मेरा साथी तूँ है , ओ कृष्ण कन्हैया साँवलिया 
मन दीपक की बाती तूँ है , ओ कृष्ण कन्हैया साँवलिया |


तेरे सहारे जीता हूँ , तेरे नाम की मदिरा पीता हूँ 
विरही मन की पाती तूँ है , ओ कृष्ण कन्हैया साँवलिया || १ ||


तूँ ही रत्नागर सागर है , वृन्दावन का नटनागर है
मेरा तो एक नाती तूँ है , ओ कृष्ण कन्हैया साँवलिया || २ ||


यशुमति का नन्द किशोर तूँ ही , घनश्याम मेरा चितचोर तूँ ही
मैं चातक हूँ स्वाति तूँ ही , ओ कृष्ण कन्हैया साँवलिया || ३ ||


तूँ मन मन्दिर का वासी है , अँखियाँ दरसन की प्यासी है
" काशी " मन का मोती तूँ है , ओ कृष्ण कन्हैया साँवलिया || ४ ||


गोलोक वासी - गुरुवर काशीराम जी शर्मा


''जय श्री राधे कृष्णा ''


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