Ek tere sahar me do do chand dikhte hai

Ek tere sahar me do do chand dikhte hai

एक तेरे शहर में,
दो-दो चाँद दिखते हैं...
एक मेरे शहर में ही,
अमावस खत्म नहीं होती...
तेरे बगैर ये वक़्त,
ये दिन और ये रातें...
गुजर तो जाते हैं मगर,
गुजारे नहीं जाते..."मेरे श्याम"
सांवरिया .......
बेइनि्तहा खूबसूरत है तेरी ये छवि .....
एक तो तेरे नैना बिशाल ....
उस पर होठ कमल है लाल
सिर पर तेरे मुकट बिशाल !
अब तू ही बता .......
इतनी भोली सुरतिया देख के
क्या होगा मेरे दिल का हाल  ।।....
हरी बोल

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