
मन के तार तुझी से बाँधे
जीवन के अंतिम पल तक हम अलग न होंगे, राधे |
साज भिन्न हो समय-समय का ,
राग न छूट सका नव वय का |
सुर अब भी है वही हृदय का ,
लाख जोग-जप साधे ||1||
वेणु बजाता वंशीवट पर ,
फिरता हूँ नित यमुना-तट पर |
तुझे देखता हूँ पनघट पर ,
नयन खोलकर आधे ||2||
फिर-फिर वृन्दावन में आके ,
रँग देता हूँ तिरछे-बाँके |
प्रिये हमारी प्रेम-कथा के ,
पृष्ठ रहे जो सादे ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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